क्या आप कभी अपने आसपास के वस्तुओं को देखकर सोच में पडे हो , की ये कैसे बनी होगी ?। या कभी आपने ये सोचा है की किसी पदार्थ या किसी वस्तु के अगर हम छोटे छोटे टुकड़े करते जायेंगे तो हमे क्या मिलेगा ? । क्या पदार्थ के टुकड़े करने की प्रक्रिया का कभी end होगा ? या ये process कभी खतम नहीं होगी ? हमें आखिर में क्या मिलेगा ? अगर आपको ऐसे Question पड़ते है तो आप अकेले नहीं है । क्यूंकि अगर हम इतिहास को देखेंगे तो हमें पता चलेगा की ये Questions इंसान को हमेशा पड़ते रहते थे । आज भी इंसान को ये Questions पड़ते रहते है । हमारी प्राथमिक कण( elementary particle ) की व्याख्या समय समय से बदलती रही है । इसकी प्रमुख वजह हमारी जिज्ञासा , हमारी सवाल पूछने की आदत और हमारी प्रयोग( experiment ) करने क्षमता है । और हमारे यही गुण हमें सत्य के और करीब लेके जायेंगे । हमारे अस्तित्व को समजने के लिए हमें मदद करेंगे । और इस ब्रम्हांड (universe ) को समझने के लिए हमारी मदद करेंगे । तो आज हम इतिहास को खंगालेंगे, एरिस्टोटल और डेमोक्रिटस की पदार्थ (matter ) के बारे में क्या सोच थी उसको समझेंगे ।
एरिस्टोटल ( Aristotle ) के अनुसार पदार्थ (matter) , रूप (Form ) क्या है ?
एरिस्टोटल(384 ईपू - 322 ईपू ) एक ग्रीक तत्वज्ञानी थे । एरिस्टोटल का जन्म 384 ईपू में हुआ था । एरिस्टोटल ने Hylomorphism करके एक फिलॉसॉफिकल थ्योरी बनायीं थी । एरिस्टोटल के हिसाब से हम जो भी चीजे हमारे आसपास देखते है , वो जीवित हो या अजीवित ये सभी चीजे matter and form से बनी होती है । तो एरिस्टोटल का matter और form क्या है इसे समझ लेते है
एक उदाहरण से हम इसको समझते है । ईंट बनी होती है मिट्टी से , तो ईंट का matter है मिट्टी । अगर हमने टेबल बनाया लकड़ी से तो टेबल का matter हो गया लकड़ी । एरिस्टोटल के अनुसार जीवित चीजों का matter होता है उनकी बॉडी । एरिस्टोटल का matter सापेक्ष ( relative ) था । ईंट के उदाहरण से इसको समझते है , ईंट का matter है मिट्टी क्यूंकि ईंट मिट्टी से बनाई है । अगर हमने ईंट से कोई दिवार बनाई तो दिवार का matter है ईंट ।
एरिस्टोटल के अनुसार कोई भी वस्तु को समझने के लिए या महसूस करने के लिए हम उस वस्तु के आकार, रंग , स्वाद और उसमे क्या खास बात है जो उसे दूसरे वस्तुवों से उसे अलग करती है इनको देखते है , यही form है । एरिस्टोटल के अनुसार जीवित चीजों का form उनका सोल ( soul ) होता है । अगर हम सफेद रंग की खुर्सी का उदाहरण लेंगे तो इसमें फॉर्म है उसका सफेद रंग और आकार ।
एरिस्टोटल के अनुसार matter और form का स्वतंत्र रूप से अस्तित्व नहीं होता । दोनों मिलकर वो किसी वस्तु को बनाते है । एरिस्टोटल के अनुसार matter निरंतर ( continuous ) है , उसको हम indefinitely divide कर सकते है । इसका मतलब अगर हमने कोई matter लिया उदाहरण के तौर पर रेत का कण , और इसके हम टुकड़े करते गए। तो रेत के कण के छोटे छोटे टुकड़े होते जायेंगे पर आखिर में हमे ऐसा रेत का कण कभी भी नहीं मिलेगा ,जिसके हम फिरसे टुकड़े नहीं कर पाएंगे ।
डेमोक्रिटस ( Democritus) की atomic थ्योरी क्या है ?
डेमोक्रिटस( 460 ईपू - 370 ईपू ) भी एक ग्रीक तत्वज्ञानी थे । उनका जन्म अब्डेरा(Abdera) , थ्रेस (Thrace) में लगभग 460 ईपू में हुआ था । डेमोक्रिटस को 'laughing philosopher' भी कहा जाता है । इसका कारण है की ,डेमोक्रिटस उत्साही रहने को ज्यादा महत्व देते थे । लुसिपस (leucippus) डेमोक्रिटस के गुरु थे । लुसिपस भी matter , atom से बना है ये मानने वालों में से थे । matter के बारे में जो डेमोक्रिटस की जो सोच थी , वो एरिस्टोटल से अलग थी । डेमोक्रिटस के अनुसार हमारे आसपास की जो चीजे है ,वो सभी अणु (atom) से बनी होती है । अणु (atom) शब्द का अर्थ है अभाज्य(indivisible) । तो इसका मतलब किसी भी पदार्थ के अगर हम छोटे छोटे टुकड़े करते गए , तो हमे आखिर में एक ऐसा छोटा टुकड़ा मिलेगा जिसके हम फिरसे टुकड़े नहीं कर सकते ।
डेमोक्रिटस के अनुसार atom अपरिवर्तनीय , अविनाशी और जिसको बनाया नहीं गया ऐसा है । डेमोक्रिटस के अनुसार अलग अलग पदार्थ के atom अलग अलग रहते है । जैसे लकड़ी का atom और लोहे का atom अलग अलग रहेगा । यही नहीं एक पदार्थ के सभी atom समान रहते है । डेमोक्रिटस के अनुसार यहाँ पर अनगिनत (infinite) atom है । विभिन्य atom का shape और size भी अलग होता है । और डेमोक्रिटस के हिसाब से atom खाली जगह (void) में constant motion में रहते है । वो एक दूसरे से टकराते है और कभी आपसमे जुड़कर clustur बनाते है ।
डेमोक्रिटस के अनुसार एक जैसे atom मिलकर कोई पदार्थ (matter) बनता है । और दो atom के बिच में खाली जगह होती है । लोहे की मजबूती समझाने के लिए डेमोक्रिटस , लुसिपस और दूसरे अटॉमिस्ट यह मानते थे ,की लोहे के atom में हुक होते है । तो एक लोहे के atom का हुक जब दूसरे लोहे के atom के हुक में अटकता है और इसी तरह वो लोहे को मजबूती देते है । यही नहीं उनके हिसाब से मिट्टी के जो atoms होते है वो सॉफ्ट होते है और आपसमे बॉल एंड सॉकेट जॉइंट से जुड़े होते है । और पानी के atom स्लिपरी एंड स्मूथ होते है ।
भले ही डेमोक्रिटस के एटॉमिक थ्योरी के कुछ हिस्से हमारे मॉडर्न एटॉमिक थ्योरी के तरह लग रहे हो पर इसमें बहोत सारी त्रुटियाँ है । पर ये एरिस्टोटल के थ्योरी से काफी बेहतर थी । एरिस्टोटल अन्सिएंट ग्रीस के काफी प्रभावशाली philosopher थे और उन्होंने डेमोक्रिटस के थ्योरी को रिजेक्ट कर दिया था । वो ये नहीं मानते थे की matter atom से बना है । डेमोक्रिटस हो या उस टाइम के दूसरे philosopher इनके पास उनकी थ्योरी को सच साबित करने के हमारे जैसे विकसित instrument नहीं थे । ना ही उनके पास कोई experimental सबूत था । उन्होंने जो कुछ थ्योरी बनाई वो एक अंदाजा था । डेमोक्रिटस के बाद लगभग दो हजार साल तक एटॉमिक थ्योरी का विकास नहीं हुआ ।
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