नेचर को समझने के लिए हमारे पास दो थिअरी है । एक है क्लासिकल और दूसरी क्वांटम । क्लासिकल थिअरी नेचर के मॅक्रोस्कोपिक ऑब्जेक्ट्स का बिहेवियर एक्सप्लेन करती है । जैसे कार , मून , स्टार , प्लॅनेट । वहीं क्वांटम थिअरी  छोटे पार्टिकल्स का बिहेवियर एक्सप्लेन करती है। जैसे मोलेक्युल , एटम , इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन , न्युट्रोन । 

आज हम ऐसे ही एक क्वांटम सिस्टम ' क्वांटम डॉट ' के बारे में जानकारी हासिल करेंगे । जिनके बहोत ही छोटे साइज की वजह से उनकी प्रॉपर्टीज में बल्क के तुलना में काफी बदलाव आते है। यही नहीं Quantum Dots की साइज को चेंज करके उनकी ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक प्रॉपर्टीज में काफी सारे बदलाव लाया जा सकता है। इसीलिए वैज्ञानिकों कि रुचि क्वांटम डॉट्स में बढ़ती ही रही है।

क्वांटम डॉट्स का छोटासा इंट्रोडक्शन - Small Introduction to Quantum Dots 

सब से पहले १९८१ में रशियन सॉलिड स्टेट फिजिसिस्ट  Alexey Ekimov ने कॉपर क्लोराइड (CuCl ) के क्वांटम डॉट्स ग्लास मैट्रिक्स में बनाए [1] । वहीं Louis E. Brus जो बेल लैब में काम करते थे , १९८३ में इन्होंने कैडमियम सल्फाइड (CdS) के   colloidal quantum dots बनाए[2]

Quantum Dots  नैनोमीटर साइज के पार्टिकल्स होते है । एक टिपीकल क्वांटम डॉट में १००० से लेकर १००००० तक एटम्स हो सकते है[3]। क्वांटम डॉट्स काफी अलग अलग शेप के हो सकते है । जैसे स्फेरिकल, पीरॅमिडल , क्युबॉयडल , कोनिकल , क्युबिकल, रिंग शेप  , लेन्स शेप के।

 क्वांटम डॉट्स की प्रॉपर्टीज उनके शेप , साइज और वो जिस मटेरियल से बने होते है उसके ऊपर डिपेंड होती है[7][8]

एक्सायटॉन क्या होता है ? - What is an Exciton ?

किसी सेमीकंडक्टर का कोई इलेक्ट्रॉन जब उसके band gap  के तुलनीय एनर्जी का फोटॉन अब्सॉर्ब करता है । Eelectron को पर्याप्त एनर्जी मिलने की वजह से इलेक्ट्रॉन आसपास के एटम के साथ बनाया बॉण्ड तोडता है । और क्रिस्टल में फ्रीली मोशन करने लगता है। बैंड थिअरी में इसको ही हम ऐसा भी कहते है कि इलेक्ट्रॉन को valence band से conduction band में एक्साइट किया गया।

दो एटम के बीच का बॉन्ड तोड़कर इलेक्ट्रॉन ने  बॉण्ड में जो खाली जगह छोड़ी है उसे हम होल कहते है । होल का चार्ज पॉजिटिव होता है। यानी इलेक्ट्रॉन जब Valence band से conduction band में जाता है तो Valence band में इलेक्ट्रॉन की जो खाली स्टेट थी उसे होल कहते है।  होल और इलेक्ट्रॉन के अपोजिट चार्ज की वजह से वो एक दूसरे को अट्रैक्ट करते है। हाइड्रोजन एटम के इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की तरह ही , होल और इलेक्ट्रॉन एक दूसरे से जुड़ जाते है।  इलेक्ट्रॉन और होल की इसी बाऊंड जोड़ी को ही exciton कहते है। 

exciton का लाइफटाइम हंड्रेडस ऑफ पिकोसैंकड़ से लेकर ननोसैंकड़ के ऑर्डर में हो सकता है[4]

क्वांटम कन्फाइनमेंट क्या है ?- What is a Quantum Confinement ?

क्वांटम कन्फाइनमेंट तब होती है, जब carrier की मूवमेंट को बहोत ही छोटे से स्पेस मे सीमित किया जाता है , जिसका डायमेंशन carrier के de broglie wavelength से कम या उसके comparable या बल्क सेमीकंडक्टर के Excitons के Bohr Radius जितना होता है[6] । Quantum Confinement  की वजह से कैरियर कि एनर्जी और मोमेंटम क्वांटाइज्ड हो जाती है।

क्वांटम डॉट्स एंड क्वांटम कन्फाइनमेंट - Quantum Dots and Quantum Confinement

CdSe_quantum_dots
CdSe quantum dots | Image Source - Google | Image By-Wikimedia









बल्क मटेरियल की अगर हम बात करे तो बल्क मटेरियल में इलेक्ट्रॉन जीरो डायरेक्शन में confine होता है। वहीं Quantum well में एक डायरेक्शन और Quantum Wire में दो डायरेक्शन में confine होता है।

Quantum Dot में कैरियर की मोशन तीनो डायमेंशन में कन्फाइन कीयी जाती है। इसीलिए क्वांटम डॉट को जीरो डायमेंशनल सिस्टम भी कहा जाता है क्यूकी क्वांटम डॉट में कैरियर जीरो डायमेंशन में फ्रिली मूवमेंट कर सकता है ( यानी नंबर ऑफ डिग्री ऑफ फ्रीडम जीरो होता है )[4]

तीनो डायमेंशन में क्वांटम कन्फाइनमेंट  की वजह से क्वांटम डॉट में इलेक्ट्रॉन , होल और एक्सायटॉन की एनर्जी लेवेल्स डिस्क्रिट हो जाती है[3]  या फिर हम उसे क्वांटाइज्ड भी बोल सकते । 

इसको हम particle in 1 dimensional box के सिम्पल एग्जांपल से समझते है। अगर हम १ डायमेशनल फ्रि पार्टिकल की बात करे तो इस केस में वेवनंबर के ऊपर कोई भी रिस्ट्रिक्शन नहीं होता है। तो फ्री पार्टिकल का मोमेंटम कुछ भी हो सकता है । लेकिन जैसे ही हम पार्टिकल को १ डायमेंशनल बॉक्स में कन्फाइन करते है तो बाउंड्री कंडीशन की वजह से पार्टिकल के वेवनंबर पर रिस्ट्रिक्शन आ जाते है। और इसी वजह से पार्टिकल की मोमेंटम और एनर्जी क्वांटाइज्ड हो जाते है । 

Quantum Dot का ये डिस्क्रीट एनर्जी स्पेक्ट्रा एटम्स और मॉलेक्युल्स के स्पेक्ट्रा से काफी मिलता जुलता है । इसीलिए क्वांटम डॉट्स को ' आर्टिफीशियल एटम्स ' भी कहा जाता है।

जैसे ही हम १ डायमेंशनल बॉक्स की साइज कम करते है , पार्टिकल के एनर्जी लेवल्स में सेपरेशन बढ़ता है। कुछ इसी तरह जैसे ही हम क्वांटम डॉट की साइज कम करते है तो क्वांटम डॉट की band gap बढ़ती है । नैनो क्रिस्टल्स जैसे क्वांटम डॉट्स में ज़ादा इंटरेस्ट होने का ये भी एक कारण है कि इनका बँड गॅप ( मिनिमम अमाउंट की एनर्जी , जो इलेक्ट्रॉन को  मिलने पर इलेक्ट्रॉन बॉण्ड तोड़कर फ्रि होता है और conduction में मदद करता है। ) पार्टिकल के साइज के अनुसार बदलता है । और Band gap के ऊपर क्वांटम डॉट की ऑप्टिकल  प्रॉपर्टीज डिपेंड होती है।

क्वांटम डॉट की ऑप्टिकल प्रॉपर्टीज साइज के अनुसार चेंज होती है। जैसे छोटे क्वांटम डॉट्स shorter wavelength की लाइट इमिट करते है। वहीं बड़े क्वांटम डॉट्स longer wavelength की लाइट इमिट करते है। फॉर एग्जांपल २ नैनोमीटर से कम डायमीटर के CdSe क्वांटम डॉट ब्लू लाइट इमिट करते है । और बड़े CdSe क्वांटम डॉट जिनकी डायमीटर ६ नैनोमीटर है रेड लाइट इमिट करते है[5]। क्वांटम डॉट लाइट तभी इमिट करता है जब क्वांटम डॉट में confine Exciton decay होता है ( यानी जब इलेक्ट्रॉन और होल recombine होते है। ) ।

एप्लीकेशंस ऑफ क्वांटम डॉट - Applications of Quantum Dots

१)क्वांटम डॉट्स की साइज कंट्रोल करके वो कौनसी लाईट इमिट करेंगे इसको कंट्रोल किया जा सकता है । उनकी इसी खासियत की वजह से क्वांटम डॉट्स का डिस्प्ले बनाने में यूज किया जाता है। जैसे QLED टीवी में क्वांटम डॉट्स का यूज किया गया है।

२)क्वांटम डॉट्स का यूज solar cell , transistor , diode laser और LED बनाने में हो सकता है।

३)क्वांटम डॉट्स का यूज बायोलॉजी में भी हो सकता है। जैसे ये संभावना है कि क्वांटम डॉट्स कैंसर के इलाज में उपुक्त हो सकते है। क्वांटम डॉट्स का यूज रोग निदान और बायोमेडिकल इमेजिंग में भी हो सकता है।







References

[1]   A. I. Ekimov and A. A. Onushchenko, “Quantum size effect in three-dimensional microscopic semiconductor crystals,” Jetp Lett, vol. 34, no. 6, pp. 345–349, 1981.

[2]   R. Rossetti, S. Nakahara, and L. E. Brus, “Quantum size effects in the redox potentials, resonance Raman spectra, and electronic spectra of CdS crystallites in aqueous solution,” The Journal of Chemical Physics, vol. 79, no. 2, pp. 1086–1088, 1983.

[3]   Masumoto, Yasuaki & Takagahara, Toshihide. (2002). Semiconductor Quantum Dots: Physics, Spectroscopy and Applications. 10.1007/978-3-662-05001-9. 

[4] Harrison, Paul. Quantum wells, wires and dots. Chichester, UK:: Wiley, 2016.

[5] Kudera, Stefan, Luigi Carbone, Liberato Manna, and Wolfgang J. Parak. "Growth mechanism, shape and composition control of semiconductor nanocrystals." In Semiconductor nanocrystal quantum dots, pp. 1-34. Springer, Vienna, 2008.

[6] Nozik, Arthur J. "Spectroscopy and hot electron relaxation dynamics in semiconductor quantum wells and quantum dots." Annual review of physical chemistry 52, no. 1 (2001): 193-231.

[7] Brus, Louis E. "A simple model for the ionization potential, electron affinity, and aqueous redox potentials of small semiconductor crystallites." The Journal of chemical physics 79, no. 11 (1983): 5566-5571.

[8] https://en.m.wikipedia.org/wiki/Quantum_dot

[9] Zekry, Abdelhalim. (2017). Re: What is Quantum confinement effect?. Retrieved from: https://www.researchgate.net/post/What_is_Quantum_confinement_effect/59c79c8896b7e418a17ec54b/citation/download.