जे जे थॉमसन का प्लम पुडिंग (plum pudding ) मॉडल , एटम अंदर से कैसे दिखता है ये बताने में असफल रहा . एटम के अंदर की रचना कैसी है, ये जानने के लिए रुदरफोर्ड ने अल्फा पार्टिकल के साथ एक्सपेरिमेंट (Rutherford alpha particle scattering experiment )किया .
रुदरफोर्ड का अल्फा पार्टिकल स्कैटरिंग एक्सपेरिमेंट क्या है?(Alpha particle scattering experiment)
रेडियोएक्टिव एटम रेडियम (Radium) से बाहर निकले हाई एनर्जी वाले अल्फा पार्टिकल रुदरफोर्ड ने अपने एक्सपेरिमेंट में इस्तेमाल किये. अल्फा पार्टिकल पॉजिटिवली चार्ज पार्टिकल होते है . इन पार्टिकल की बौछार रुदरफोर्ड ने सोने की पतली शीट (sheet ) पर की . सोने के शीट की थिकनेस 100 नैनोमीटर थी . इस पतली शीट (sheet ) के चार ओर से रुदरफोर्ड ने जिंक सल्फाइड की स्क्रीन लगा दी . जिंक सल्फाइड स्क्रीन का इस्तेमाल अल्फा पार्टिकल को डिटेक्ट करने के लिए किया गया था . जब अल्फा पार्टिकल स्क्रीन से टकराते थे तब स्क्रीन का वो हिस्सा चमक उठता था .
अल्फा पार्टिकल सोने की शीट से टकराकर कौनसी दिशा में जाते है इसका स्टडी रुदरफोर्ड ने किया . और अपना एटॉमिक मॉडल बनाया .
अल्फा पार्टिकल स्कैटरिंग एक्सपेरिमेंट के नतीजे ( Rutherford scattering experiment results)
1)बहुतांश अल्फा पार्टिकल अपनी दिशा बदले बिना सोने की शीट(sheet) से गुजर गए . इसका मतलब एटम के अंदर की बहुतांश जगह खाली ही रहती है .
2) कुछ अल्फा पार्टिकल सोने की शीट से टकराकर अपनी दिशा हलकी बदल लेते है . इसका मतलब एटम के अंदर पॉजिटिव चार्ज पुरे एटम में फैला नहीं है जैसे थॉमसन ने कहा था . बल्कि पॉजिटिव चार्ज एक छोटे से वॉल्यूम में केन्द्रित होता है .
3) बहुत ही कम अल्फा पार्टिकल सोने की शीट से टकराकर रिटर्न उसी दिशा में गए जहा से आये थे . इसका मतलब पॉजिटिव चार्ज का वॉल्यूम पुरे एटम के वॉल्यूम से काफी कम है .
रुदरफोर्ड का एटॉमिक मॉडल (Atomic model of rutherford)
1)एटम का पॉजिटिव चार्ज और मास (mass) एटम के सेंटर में केन्द्रित होता है . इस छोटे वॉल्यूम को रुदरफोर्ड ने न्युक्लिअस नाम दिया .
2) रुदरफोर्ड के अनुसार नेगेटिव चार्ज इलेक्ट्रान न्युक्लिअस के इर्द गिर्द सर्कुलर ऑर्बिट में घुमते है . इलेक्ट्रान्स का स्पीड काफी ज्यादा होता है .
3) न्युक्लिअस जो पोजीटिवली चार्ज है , नेगेटिवली चार्ज इलेक्ट्रान को बांधकर रखता है . न्युक्लिअस और इलेक्ट्रान के बिच के इस फ़ोर्स को रुदरफोर्ड ने इलेक्ट्रोस्टैटिक अट्रैक्शन फ़ोर्स कहा .
रुदरफोर्ड के एटॉमिक मॉडल की कमियाँ
1)रुदरफोर्ड ने ये नहीं बताया की एटम में इलेक्ट्रान्स की अरेंजमेंट कैसी होती है .
2) सर्कुलर ऑर्बिट (orbit) में चक्कर लगा रहे इलेक्ट्रान लाइट एनर्जी एमिट (emit) करते है . लाइट एनर्जी एमिट करने के कारण इलेक्ट्रॉन्स की एनर्जी कम होनी चाहिए . इलेक्ट्रॉन्स की एनर्जी कम होने के कारण इलेक्ट्रॉन्स की सर्कुलर ऑर्बिट की त्रिज्या कम होनी चाहिए . और आखिर में इलेक्ट्रान न्युक्लिअस के अंदर गिरना चाहिए . इलेक्ट्रान को न्युक्लिअस के अंदर गिरने के लिए 10-8 सेकंड से कम टाइम लगना चाहिए .
अगर ऐसा होता तो सभी एटम्स कुछ ही सेकंड में ख़तम हो जाते . लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होता . एटम्स स्टेबल होते है .रुदरफोर्ड का एटॉमिक मॉडल एटम्स इतने स्टेबल क्यू होते है इसका जवाब नहीं दे पाया .
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