can we actually touch things


 हम जिन चीजों को जो छूते है क्या असलियत में उन्हें छू सकते है क्या (can we actually touch things ) ? .

अभी आप ये आर्टिकल मोबाइल पे पढ़ रहे होंगे या कंप्यूटर पर .आप कुर्सी पे बैठकर ये आर्टिकल पढ़ रहे होंगे या बेड पर बैठकर . अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए की आप कितने वस्तुओ को छू रहे है. तो आप जल्दी से बोल देंगे हम कुर्सी पे बैठे है तो कुर्सी को छु रहे है . अगर बेड पर बैठे है तो बेड को छु रहे है . हम मोबाइल देख रहे है तो मोबाइल की स्क्रीन को छु रहे है है . या अगर कंप्यूटर पे आर्टिकल पढ़ रहे तो कीबोर्ड को . लेकिन क्या हम असलियत में चीजों छु सकते है (can we actually touch things )?

तो चलिए आज के इस लेख में हम इसी सवाल का जवाब ढूँढते है .

क्या एटम एक दूसरे को छु सकते है (can atoms touch each other)

इन्सान हो या आसपास दिखने वाली कौनसी भी चीज सभी चीजे एटम्स से बनी हुई है . तो हम शुरुवात में ये जानते है की क्या एटम एक दुसरे को छु सकते है ? .

एटम का मास ( mass ) एटम के न्युक्लिअस के अंदर केन्द्रित होता है . न्युक्लिअस के अंदर प्रोटोन और न्यूट्रॉन होते है . और इलेक्ट्रान्स इस नुक्लिअस के इर्द गिर्द घुमते रहते है . एटम के अन्दर की बहुतांश जगह खाली होती है .

छूना हम किसे कहते है ? .अगर किसी दो चीजों की बाहरी सतह जब एक दुसरे को छूती है तो हम कहते है की वो चीजे एक दुसरे को छु रही है . लेकिन जैसे हमने ऊपर बताया एटम किसी मिट्टी के गेंद की तरह ठोस नहीं होते . बल्कि एटम के अंदर की काफी जगह खाली होती है . इस परिभाषा से हम बोलना चाहे तो एटम एक दुसरे को नहीं छुते है क्यूकी एटम्स किसी ठोस गेंद की तरह नहीं होते . इसीलिए हमें पहले एटम के लिए छूने की परिभाषा क्या होनी चाहिए इसे बताना होगा .

एक एटम का दुसरे एटम पर कुछ प्रभाव हो तो

अगर हम छूने की परिभाषा ऐसी करे , की जब दो एटम एक दुसरे पर अपना कुछ प्रभाव डाले और इस प्रभाव डालने को हम छूना कहे . तो दो एटम हमेशा एक दुसरे को छूते है . क्युकी एटम के न्युक्लिअस पर पॉजिटिव चार्ज होता है और नेगेटिव चार्ज इलेक्ट्रान इस पॉजिटिव चार्ज न्युक्लिअस के इर्द गिर्द घुमते रहते है .

तो जब दो एटम एक दुसरे के नजदीक आते है तो एक एटम के नेगेटिव चार्ज इलेक्ट्रान दुसरे एटम के नेगेटिव चार्ज इलेक्ट्रान को दूर धकेलेंगे . वही एक एटम का पॉजिटिव चार्ज न्युक्लिअस दुसरे एटम के नेगेटिव चार्ज इलेक्ट्रान को अपनी ओर खिचेगा . इस प्रभाव को हम छूना कह सकते है .

अगर पास आने वाले एटम ऐसे हो जो आपस में केमिकल bond बनाते हो . केमिकल bond बनाने के बाद हम ऐसा बोल सकते है की एटम एक दुसरे को छू रहे है . यहाँ केमिकल bond ionic bond हो सकता है , covalent bond हो सकता है या metallic bond हो सकता है . केमिकल bond बनाते समय एक एटम का दुसरे एटम पर कुछ ना कुछ प्रभाव पड़ता है .

क्या हम असलियत में चीजों को छु सकते है (can we actually touch things )?

क्या हम असलियत में चीजों को छू सकते है (can we actually touch things ) इस सवाल के भी हमे दो जवाब मिलेगे . और वो जवाब निर्भर करते है हमारी छूने की परिभाषा क्या है इस पर .

जब दो ठोस चीजों की सतह एक दुसरे को छुती है तो उसे हम छूना कहते है .अगर हम इस परिभाषा का इस्तेमाल करे , तो हम किसी भी चीज को असलियत में छुते नहीं है(we never touch anything) . क्युकी एटम के अंदर बहुतांश खाली जगह होती है . और आप जब मोबाइल पर अपना हाथ रखते है तब मोबाइल के अन्दर के इलेक्ट्रॉन्स और आपके हाथों के इलेक्ट्रान्स एक दुसरे को दूर धकेलते है . इसीलिए यहाँ आपका हाथ मोबाइल की स्क्रीन के ऊपर सिर्फ मंडराता है , ना की उसे छूता है . ये हो गया एक जवाब .

दूसरा जवाब ये है अगर हम एक एटम का दुसरे एटम पर होने वाले प्रभाव को ध्यान में लेते है ,और इसे हम छूना बोलते है . तो हम ऐसा बोल सकते है की हम चीजों को असलियत में छूते है . क्युकी जैसे हमने ऊपर देखा एक एटम का दुसरे एटम पर हमेशा प्रभाव पड़ता रहता है . आप जिस कुर्सी पर बैठे है उस कुर्सी के इलेक्ट्रान्स आपके बॉडी के इलेक्ट्रान्स को दूर धकेल रहे है . मतलब कुर्सी में मौजूद इलेक्ट्रान्स का आपके बॉडी में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स पर कुछ ना कुछ असर हो रहा है . और हमारी इस परिभाषा के अनुसार हम ऐसा बोल सकते है की हम चीजों को छूते है .